मां सरस्वती का ध्यान करते हैं। देखिए ज्योतिष शुरू करने से पहले हमें ज्योतिष के विषय में थोड़ी बहुत चीजें पता होनी चाहिए कि ज्योतिष क्या है, है ना?
आप सभी लोग शायद ये चीजें जानते भी होंगे पहले से और कुछ नई बातें भी आपको सीखने को मिलेगी तो पेशेंस रखना, है ना? हड़बड़ी मत करना, ये मत सोचना कि ये वाली बात नहीं कहीं, वो वाली बात नहीं कही। इस पूरे कोर्स के दौरान जब आप अंत में पहुंचेंगे तो आपको लगेगा, आपको पता लगेगा कि मैंने आपको जो चीजें हमारे प्रेडिक्शंस के लिए जरूरी है और जो प्रश्नों के उत्तर हमें देने हैं लोगों को, वो सब चीजें आप सीख चुके होंगे। अभी शुरुआत में आपको ऐसा लगेगा कि सब चीजें अलग-अलग, अलग-अलग बताई जा रही है, पर आप ये मान के चलें कि इन सब चीजों को जैसे माला में मोती पिरोए जाते हैं ना, ऐसे पिरो दिया जाएगा और लास्ट में आप एक अच्छे एस्ट्रोलॉजर बन के निकलेंगे, है ना? हम अपने कोर्स को तीन पार्ट में करेंगे। सबसे पहला पार्ट रहेगा हमारा फाउंडेशन। ठीक है जी? दूसरा पार्ट हमारा बेसिक और तीसरा रहेगा प्रिडिक्टिव। ठीक है जी?
प्रशन: बस एक लास्ट प्रश्न आप लोगों से करूंगा। आप मुझे बताइए कि ज्योतिष से आप समझाते क्या है कि ज्योतिष है क्या? इन जनरल पूछ रहा हूं, कोई डेफिनेशन नहीं पूछ रहा। है ना? वो ये सब नहीं पूछ रहा। जी बोलिए।
उत्तर: ज्योतिष में मतलब हम लोग अपनी कुंडली के आधार पर मतलब ग्रहों का राशियों का स्टडी करते हैं कि कैसे क्या है उसके कौन सा मतलब जो है लग्न और ये कुंडली के आधार पर मतलब उसको स्टडी करते हैं।
प्रशन: आप क्या समझते हैं ज्योतिष से? आप बताइए। कि ज्योतिष है क्या?
उत्तर: ज्योतिष मींस उसका ये संस्कृत वर्ड है ज्योतिष, ओके? तो उसको वो साइंस ऑफ लाइट भी बोलते हैं उसको। और हां, ज्योतिष में अलग-अलग मतलब चीजें आती है वैदिक आता है फिर जैमिनी मतलब सब अलग-अलग चीजें ज्योतिष में आती है। मतलब प्रिडिक्ट करने के लिए जो होता है ना साइंस उसको ज्योतिष बोलते हैं। ठीक है, चलिए। बहुत बढ़िया। देखिए, बहुत सारी डेफिनेशंस तो आपने सुनी होगी। जैसे कहते हैं कि भई ज्योतिष हमारी ईश्वर की ज्योति है। है ना? कि जो हमें रास्ता दिखाती है। ये सब चीजें आप लोग ऑलरेडी सुन चुके हैं समाज में।
बेसिकली ज्योतिष क्या है?
ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जो अपने आप में ताकत रखती है कि वह किसी के भविष्य में झांक सके। और आप यकीन करें, ज्योतिष के अलावा और कोई ऐसी विद्या नहीं है जो किसी के भविष्य में झांक सके। आपने देखा होगा कि बहुत सारे लोग जो है वह किसी के बारे में बता देते हैं कि
आपका नाम यह है,
माता का नाम यह है,
आपके साथ यह घटना हुई, या आपके साथ यह समस्या चल रही है।
परंतु आप विश्वास करें, वह व्यक्ति का भविष्य नहीं बता सकते। वह उसका पास्ट बता देंगे, प्रेजेंट बता देंगे, उसको बोलते हैं भूत विद्या। ठीक है जी? परंतु ज्योतिष एक ऐसी विद्या है, वह हालांकि तंत्र का विषय है एक प्रकार का।
परंतु ज्योतिष एक ऐसी विद्या है जिससे आप किसी के भविष्य में होने वाली घटनाओं का अनुमान लगा सकते हैं, उसके अंदर झांक सकते हैं। जैसे
किसी को दुर्घटना होने वाली हो,
किसी को कोई नुकसान होने वाला हो,
नाम खराब होने वाला हो, है ना,
इस प्रकार की बातें।
या अच्छी बातों में कहीं कि भाई किसी की पदोन्नति आपको दिखाई दे रही है तो आप बता सकते हैं कि भाई आपका पद बढ़ जाएगा या उन्नति होगी,
विवाह के जैसे योग हो गए,
एजुकेशन से रिलेटेड मतलब जितने भी एक लाइफ में क्वेशंस होते हैं ना, लगभग सब चीजों में ज्योतिष झांक सकता है।
यह एक ऐसी विद्या है और एक कैलकुलेटिव साइंस है। है ना, यह ऐसी साइंस नहीं है कि आप इसमें बिना कैलकुलेशन के कुछ भी जो मन में आए, वह बोल दो। तो, आप यह मान के चलें कि भविष्य में झांकने की जो सबसे सटीक विद्या है और जो सबसे प्योर है, और जो सबसे जेन्युइन है, वह ज्योतिष ही है। अब ज्योतिष आप सभी को पता है कि हमारे वेदों का अंग है। जो वेदों का छठा अंग है, उसको ज्योतिष कहा गया है। इसको वेदांग कहा जाता है।
और ज्योतिष शास्त्र आज से नहीं है, वैदिक काल से है और हमेशा से एक मनुष्य की जब से सभ्यता है, तब से ही है और हमें हर प्रकार से मदद करता है। तो, कुछ ज्योतिष के प्रकारों के विषय में हम सबसे पहले बात करेंगे और फिर इन जनरल बात भी करेंगे कि हमें कैसे ज्योतिष को प्रयोग करना है और समाज में ज्योतिष को लेकर क्या भ्रांतियां हैं। और आप देखते हैं आजकल अलग-अलग मेथड्स आए हैं प्रेडिक्शंस के, उसको भी ज्योतिष के साथ जोड़ दिया जाता है।
कोई कहता है जी अंक शास्त्र जो है वह भी ज्योतिष का हिस्सा है। कोई कह देता है जी टैरो भी ज्योतिष का हिस्सा है। अन्प बहुत सारी विद्याएं हैं उनको भी कहते हैं जो वेस्टर्न साइंसेस है कि भई ये ज्योतिष का विद्यालय है। मतलब ज्योतिष का पार्ट है। हालांकि ऐसा नहीं है। वह एक प्रेडिक्शन की साइंस है। वह एक अलग साइंस है। और ये जो हमारा वेदों का अंग है, ये एक अलग साइंस है। तो ज्योतिष में बहुत सारी चीजें आती है।
तो सबसे पहले उनको जानते हैं और हमें क्या पढ़ना है. वह भी जानेंगे। तो सबसे पहले ज्योतिष का जो महत्वपूर्ण अंग है, वह है गणित ज्योतिष। ये आप मान के चलें ज्योतिष का सबसे मेन अंग है। ये ना हो तो आगे का तो कुछ है ही नहीं फिर। और गणित ज्योतिष क्या है? खगोल शास्त्र आप जानते हैं। ग्रहों के विषय में, अंतरिक्ष के विषय में जो जानकारी हम रखते हैं, उसकी जो गणना होती है, उसको गणित ज्योतिष कहा गया है। और इसी की मदद से किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली बनाई जाती है। तो गणित ज्योतिष में हम लोग क्या सीखते हैं? किसी की कुंडली बनाना, पंचांग बनाना, ये सब चीजें हम लोग गणित ज्योतिष की ज्योतिष की मदद से करते हैं। हालांकि आजकल सॉफ्टवेयर्स आ चुके हैं। पंचांग ऑलरेडी बने बनाए आते हैं। तो हम इसका ज्यादा प्रयोग हम लोग पर्सनली नहीं करते। क्योंकि हम लोग प्रेडिक्टिव साइंस पे बेस्ड काम करते हैं।
फिर आता है फलित ज्योतिष। अब इस गणित ज्योतिष से जब आपने जन्म कुंडली बना ली, तो एक व्यक्ति के मन में ये रहेगा जो आम जनता है कि भई मेरे भविष्य में क्या हो सकता है। तो उसको फलित करने की जो विद्या है, जो साइंस है या फिर जो फॉर्मूलेस हैं, वो सब फलित ज्योतिष के अंदर आते हैं। ठीक है जी? गणित ज्योतिष से हम कुंडली बनाएंगे। हम अंतरिक्ष में देखेंगे कि कौन सा ग्रह कहां है, कौन सी राशि कहां है, किस स्पीड से कोई ग्रह चल रहा है, कोई ग्रह वक्री कब हो रहा है, कोई ग्रह मार्गी कब हो रहा है। है ना? वो कितने दिनों में राशि परिवर्तन कर लेगा? या क्या परिस्थितियां अंतरिक्ष में चल रही हैं? क्या चेंजेस चल रहे है जो हमारे पंचांग है पूरा, पांच अंगों से जो मिलके बना हुआ है। उन सभी चीजों के बारे में हमारा गणित ज्योतिष हमें बताता है। फिर उसी के बेसिस पे जब हम कुंडली बना ली, तो कुंडली बना लेते हैं तो उससे हम फलित करते हैं।
फिर उसके बाद आता है समुदाय ज्योतिष। अब ये क्या है? फलित ज्योतिष जो है, फलित की फलित का एक पार्ट ही है ये। फलित ज्योतिष में हम व्यक्तिगत ज्योतिष करते हैं किसी व्यक्ति विशेष के बारे में। जैसे मान लेते हैं, वैभव जी मेरे से कि भई मेरी जन्म कुंडली देख कर कुछ बताओ। है ना? या मेरे भविष्य में क्या हो सकता है? तो उनका व्यक्तिगत मत हो गया वो। इसके विषय में हम बात करेंगे। और समुदाय में जो पूरे समुदाय में कोई घटना घटने वाली हो। जैसे फॉर एग्जांपल, कहीं पे बाढ़ आने वाली हो, भूकंप आने वाला हो या फिर राजनीति में क्या हो सकता है, क्या नहीं हो सकता, कौन से देशों के युद्ध हो सकते हैं। इस प्रकार की चीजें समुदाय ज्योतिष में आती है। इसको मुंडन ज्योतिष भी बोलते हैं।
हमारा काम है फलित ज्योतिष करना मेन। फिर मुहूर्त ज्योतिष। इसको मुहूर्त शास्त्र कहा जाता है। हालांकि ये ज्योतिष का पार्ट है। बट इसमें हम भविष्य कथन नहीं करते। बट आजकल कुछ लोग ना मुहूर्त या फिर पंचांग की मदद से व्यक्ति के भविष्य में घटने वाली घटनाओ को बताने का प्रयास करते हैं। जो तरीका वैसे तो गलत है।
मुहूर्त क्या है?
मुहूर्त ये है जैसे आपने देखा सुना हो कि भाई गृह प्रवेश करना है, मुंडन करना है, विवाह संस्कार है, जनेऊ संस्कार है। है ना? इन सब के लिए एक मुहूर्त निकाला जाता है। तो मुहूर्त शास्त्र को हम जरूर पढ़ेंगे और उसमें हम ये जानेंगे कि मुहूर्त का प्रयोग हमें क्या करना है।
प्रश्न ज्योतिष
अब प्रश्न ज्योतिष को लेकर भी लोगों के मन में बड़ी भ्रांतियां हैं। कि ये क्या है जी? लोग आजकल क्या करते हैं? जैसे मान लेते हैं किसी के पास उसके जन्म का समय नहीं है मान लो। सिर्फ डेट ऑफ बर्थ है या फिर मान लो कोई भी उसके पास डिटेल ही नहीं है। ना तो जन्म का समय है, ना जन्म का दिन है, तारीख है , साल है, कुछ भी नहीं है। ना प्लेस उसकी पता।
तो ज्योतिषी जी क्या कहेंगे? अच्छा आप अपना प्रश्न करो और मैं ना प्रश्न कुंडली लगा के आपको आसर दे दूंगा। जबकि ये तरीका गलत है। प्रश्न कुंडली से केवल उन्हीं प्रश्नों के उत्तर दिए जाते हैं जिन के उत्तर हम जन्म कुंडली से नहीं दे सकते। जैसे मान लेते हैं कोई व्यक्ति आपसे आके कहे कि मेरा विवाह कब होगा बताओ। वो तो उसकी जन्म कुंडली बताएगी कि उसकी कुंडली में विवाह के योग कब-कब बन रहे है। है ना? और कोई व्यक्ति आकर आपसे कहे कि बताओ कि कल में एक व्यक्ति से मिलना चाह रहा हूं। क्या वो मुझे मिल पाएगा? तो उसका आंसर आपकी जन्म कुंडली नहीं बताएगी। उसका आंसर हमें बताएगी प्रश्न कुंडली। जैसे मेरा कोई सामान चोरी हो गया, यो मिलेगा या नहीं मिलेगा? मेरे घर से एक व्यक्ति भाग गया है। मान लो कि भाई किसी का भाई चला गया। वो किस दिशा में होगा? वो नाराज हो के चला गया है। क्या वो वापस आएगा या नहीं आएगा? इस प्रकार की जो चीजें हैं, इनको हम प्रश्न ज्योतिष में करते हैं। ये हम बिल्कुल करेंगे।
हम अपना जो हमारा जो सिलेबस है, उसके अंदर हमारा पूरा फलित ज्योतिष आएगा, मुहूर्त आएगा, प्रक्ष ज्योतिष आएगा। इसी फलित ज्योतिष में मेडिकल एस्ट्रोलॉजी वगैरह भी इंक्लूडेड है। ठीक है जी? बाकी आप लोगों ने प्रक्ष ज्योतिष के बारे में मुझे पता है यही सुना होगा कि जिस व्यक्ति के पास डिटेल्स नहीं है, उसकी जन्म कुंडली प्रक्ष कुंडली के हिसाब से बना दी जाती है।
शकुन ज्योतिष
फिर आता है शकुन ज्योतिष। शकुन शास्त्र के विषय में आप लोगों ने सुना होगा कि बिल्ली ने रास्ता काट दिया, अपशकुन हो गया। है ना? या दूध का बाहर निकलना एक अच्छा शकुन माना जाता है। तो इसको बोलते हैं शकुन ज्योतिष। आप लोगों ने यदि बाल्मीकि रामायण पढ़ी होगी तो वहां पर महर्षि वाल्मीकि बहुत जगह लिखते हैं कि सीता माता और राम जी कहीं जा रहे हैं और उनके दाएं हाथ की तरफ से कुछ पक्ष तो जरूरी कुछ शुभ समाचार मिले या फिर कोई बुरी सी शुभ समाचार मिलने की संभावना है। तो इसका अर्थ वो भी एक ज्योतिषी ही थे। है ना? और उन्हें शकुन ज्योतिष का भी अच्छा ज्ञान था। अब शकुन ज्योतिष हालांकि आजकल के लोगों पे उतना ज्यादा काम इसलिए नहीं करता क्योंकि लोग प्रकृति से जुड़े नहीं हैं।
शकुन ज्योतिष बेसिकली काम करता है कि हमारी आसपास की घटनाओं को देखकर उसी समय पर क्या कुछ घटित हो सकता है, क्या शुभ हो सकता है, क्या अशुभ हो सकता है, यह वहीं तक सीमित है। पजैसे घर से बाहर निकलते हैं तो बिल्ली रास्ता काट जाती है तो कहते हैं ना कि भई थोड़ी देर रुक के चलो। हो सकता है कुछ अपशकुन हो जाए। कुछ लोग कांच के टूटने को बुरा मानते हैं, कुछ लोग अच्छा मानते हैं। वह सब शकुन ज्योतिष के अंदर आता है। फिर आता है स्वर ज्यातिष। हमारे सपने जो आते हैं उसके हिसाब से हमारे भविष्य में क्या बीजें घट सकती है, उसकी साइंस को हम लोग स्वा ज्योतिष कहते हैं। ठीक है जी? और स्वप्न ज्योतिष के विषय में लोगों के मन में ना बड़ी भ्रांतियां हैं कि
जैसे कोई सपना देख लिया मान लो, देखते ही वह परेशान हो जाते हैं। मेरे पास खूब मैसेज करते हैं कि मेरे को ना रात में यह सपना दिखाई दिया, बताओ गुरुजी क्या होगा? देखिए, स्वप्न ज्योतिष कब काम करता है जब कोई सपना हमें रिपीटेडली दिखाई दे रहा हो। यूजुअली आपको एक सिंपल सा एक बात बता देता हूं जब व्यक्ति की सेहत ठीक ना हो या उसका पेट खराब हो तो उसको लगभग बुरे सपने आते हैं और सपने आते कैसे हैं? हमारे सबकॉन्शियस माइंड में बहुत सारी चीजें फीड हैं, है ना? और वही चीजें हमें कुछ ना कुछ उसकी खिचड़ी बनके दिखाई दे जाता है। वह हमारे सपने हो गए। बट कोई सपना हमें बार-बार आ रहा है, लगभग एक ही जैसे सपने पैटर्न में आ रहे हैं, तो फिर वहां पर एक चिंता कन विषय बन जाता है। या फिर उससे हम प्रिडिक्ट करते हैं कि भाई कोर्ड शुभता होगी या कोई अनुभता होगी। तो इसलिए स्वम ज्योत्तिष में कहा जाता है कि एक से ज्यादा बार यदि कोई सपने आपको दिखाई दे रहे हैं, तब उसके हिसाब से हम अनुमान लगाएंगे कि क्या चीजें अच्छी हो सकती है, क्या बुरी हो सकती है।
तो हमें गणित का थोड़ा बहुत पार्ट पड़ेगे हम लोग कि कुंडली कैसे बनाई जाती है, राशियां कैसे कितनी डिग्री की होती है या फिर वर्ग कुंडलियां किस प्रकार से बनाई जाती है, तो वह वाला पार्ट हम जरूर करेंगे। मेन हमारा फोकस रहेगा प्रिडिक्टिव एस्ट्रोलॉजी पे जो हमारा फलित ज्योतिष है।